Friday 21 December 2018

शायरी डायरी

ज़माना हमसे भी पूछेगा जुदाई का सबब,
तू आएगी नहीं पता है, सबब तो बता के जा!

मैं मानता नहीं लेकिन कहती हो कि खुश नहीं रही तुम,
कहाँ क्या कमी रही, वो तो बता के जा!
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लिख डाला है एक पन्ना ऐसा इश्क़ का,
जब जब हवा से पलटे, नम होए।
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क्या उसे इल्म भी होगा,
कि उसको मैं याद करता हूं।
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खुलता है जब वो पन्ना इश्क़ का,
उमड़ता है एक दरिया अश्क़ का।
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अपना वक़्त बरबाद कर रहा हूं मैं,
ना इधर, ना उधर जा रहा हूं मैं।

क्यो कर रहा हूं ऐसा मैं,
जाने किसका इंतज़ार कर रहा हूं मैं।
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किसी के दर्द को लफ्ज़ दे देते हैं चलते फिरते,
दुनिया पूछती है किसके आशिक़ हो!
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उसने कहा शराब मेरी आदत है, जाते जाते जाएगी,
हमने कहा जब तुम भी जा सकती हो तो आदत भी चली जाएगी।
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अजी, ग़ज़ब करतीं हैं आप भी,
समंदर पार कर लिया, लेकिन इक गड्ढे से हार बैठी!

माना समंदर अनजाने में हमने बना दिया था,
लेकिन गड्ढ़ा अकेले का नहीं था, गिरते ही हार बैठी।
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डर जाता हूं मैं, ए कल तुझे सोच के,
मैंने अच्छा खो दिया या और भी अच्छा देगा तू मुझे।
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घर आने का लुत्फ उठाया है मैंने,
कुछ अरसा घर से दूर जो बिताया है मैंने।
कहने को सुख और भी है दुनिया में, फिर भी,
भाइयों को बकवास सुनाने में वक़्त बिताया है मैंने।
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वक़्त की चाल और 
किस्मत की गोटी होती है,
होता वही है जो इनकी मर्ज़ी होती है।
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ये तेरी नटखट मुस्कराहट है या तेरी नज़र,
देखते ही जो देखने में रम जाता हूं।
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उस खिलौने को मेरा शुक्रिया कहना,
जिसने तेरे चेहरे पे खुशियां बिखेर दी।
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काश वो खिलौना नहीं, मैं होता,
तेरे दिल से लग के तेरा हो जाता।
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हर बार तुम पूछती हो कैसे लिख लेता हूं,
ए जान-ए-बहार, तुझे देख के तेरी खूबसूरती मेरी कलम से निकलती है। 
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तेरे बाद शायद तेरे वादे पर अटक गई है मेरी दुनिया,
जाने अब वो वादा भी कौन करेगा।

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 आंखों की शरारत और होंठो की हंसी,
बस और क्या चाहिए दिल को घायल होने में।
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तुम कहती हो तो, तुम्हें हम लफ़्ज़ों की आग दिखाते हैं,
बस एक बात ये है कि तुम हुस्न के अंगारों से इसे सुलग तो दो।
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शहर में बारिश आ रही है और मुझे हिचकियाँ,
क्या उसके शहर में भी बारिश हो रही होगी?

वही बरसती बूंदो की आवाज़ और गीली सी ठंडक,
क्या वो मेरे शहर की बारिश की याद में भीग रही होगी?

अब कुछ इश्क़ में डूबने वाले हैं,
कुछ कीचड़ में परेशां होने वाले हैं,
ज़रा ख्याल रखना तू ए मेरे दोस्त,
तेरे शहर में हादसे होने वाले हैं।
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खुशियाँ न् उडिको मती, खुशियाँ थे बणाओ,
आस, कुनबो अर गुरुजन, सागे थारे रामजी।

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तेरे झूठे वादों से कुछ यूं सपने बुनता रहता हूँ मैं,
जैसे कोई लड़की बिना रंग के रंगोली बनाती हो।
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तूने वादा किया था मिलने का, भूल गयी शायद,
हमारा क्या है, हम तो हमेशा इंतेज़ार में रहेंगे।

3 comments:

  1. जो हुआ उसका गम ना कर..
    यूं सोच के लम्हे बर्बाद ना कर..
    जो चला गया वो तेरा नहीं..
    जो तेरा है वो तेरे पास आएगा..
    संग में ढैर सारी खुशियां लाएगा...
    छोड़ के सारी बाते तू आगे बढ़..
    ज़िन्दगी बहुत छोटी सी है..
    ग़म में ज़िन्दगी बर्बाद मत कर...
    जो छोड़ दिया वो छोड़ दिया..
    पीछे मुड़ कर अब देख मत...
    आगे बड़ बस आगे बड़..


    ❤️❤️❤️❤️

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