Monday 29 April 2019

My funny vote story and Goddess of Democracy

Goddess of Democracy is blessing me.

I was in Mira road and was to leave for Kandivali to vote by 4.30 pm but somehow Devil of sleep took me in his control (second half was off from office) and the time I woke up, my phone told me it's 5.35pm. Aah, only 25 minutes. I thought-oh let it go..I won't make it on time because It takes 30 minutes atleast to reach there and I would reach only after 6pm.

I was under spell of Devil of sleep and Devil of laziness was helping him. That was the moment Goddess of Democracy took its form and reminded me my own power to vote. She told me I won't be able to curse Govt if I didn't vote. I was thrilled by the only actual power I have. (Though I have many as a God but ssshhhh). I got up and after this quick epic war, decided to vote and thus defeated Devils of sleep and laziness with the help of Goddess of Democracy. (Victory trumpet).

After this war of half-decade, I got up and was out of the building's main gate by 5.39. Thankfully due to powers of Goddess of Democracy, red light was on in front of the building gate and couple of autos were there without passengers. I asked one but as usual you need to keep trying for where you want to be. Asked another and he was ready to take me.

Time 5.39. Google map told that I will reach by 5:58. Waqt - race against time. Thought to vanish half of traffic population in a  snap to reach in time but then inner voice said-shutup! You are good God. Anyways, I told driver to take as fast as he can as I am already late. He said ok. And he actually took it fast. Expected time of arrival changed to 5:57. I was like whoa..I got one more minute of window to use my power. Again soon, Google map changed its expected time of arrival to 5:56. I was amazed. Felt like Mumbai's Superman for a second. I thought it will show ETA as 5:55 soon. But haha..let reality stone come into play. It remained 5:56. Nevertheless he gave me couple of more minutes. Seemed enough for my victory.

Auto dropped me on 5:57 at some distance from booth. I reached in booth by 5:58. Police man told me to hurry up. Almost everyone I asked for the address or room number told me to hurry up. I wanted to tell them that don't worry, I will be the last one to vote and Democracy Goddess won't allow her children (election on duty officers) to take away those EVMs without registering my vote. But then I thought, let them live happily so didn't brag. I voted.

I voted exactly on 6:00pm. Maybe officially one of last voter. I took my mobile and wallet to even EVM. No officer objected. Goddess's hand you see.

Reached home. I noted that ink mark on my finger was tilted. Just like tilted Teeka on forehead is considered lucky, tilted ink mark should mean the same. Another proof that Goddess was with me.



Now I will request God of sleep to defeat evil in me and take me under his control soon. Already under heavy force of God of Laziness. So goodbye now.

Sunday 7 April 2019

सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता! - कहानी निकिता ढौंडियाल की।

एक तरफा संवाद



इस बार मैं थोड़ा जल्दी घर आया। पिछली बार दिसंबर में आया था तब मां और पत्नी से अप्रैल में घर आकर शादी की पहली सालगिरह का जश्न मनाने की इच्छा बताई थी। लेकिन फरवरी में ही आना हो गया। और अब वापिस ना आना होगा ना दुबारा जाना होगा। अब मैं घर पर हूं भी और नहीं भी।

मैं शहीद मेजर विभूति ढौंडियाल हूं । क्षमा करें, मैं उनकी रूह हूं। अब हम अलग हो गए हैं। उनका शरीर जहां मैं गर्व से रहती थी, मेरे सामने पड़ा है।

देख नहीं पा रही मैं ये हालत। मां, निकिता, रिश्तेदार और बाकी सब। सब दुखी हैं। ये देखकर मुझे भी दुःख हो रहा है। मत रोइए प्लीज़।



मां बोल रही थी मेरा शरीर आने से कुछ देर पहले, की उन्हें क्यों सब घर, पड़ोस वाले इधर उधर परेशान से लग रहे हैं। क्या मेरे बेटे की कोई अशुभ खबर है। हे भगवान, मेरे बेटे की रक्षा करना। अभी तो वो दिसंबर में कुछ वक़्त बिता कर, वापिस आने का कह कर गया था। मुझे दिल की बीमारी है, क्या इसीलिए ये सब मुझे आखिरी में बताने वाले है? हे ऊपरवाले, मेरे दिल को तसल्ली दे।

मेरी मां कह रही थी खुद ही में कि उन्हें सबसे आखिर में बतायी गयी उनके बेटे की शहादत की खबर। मां के शब्दों में "मैंने ही इस वीर को जया है, मैंने ही इसमें ये वीरता और साहस भरा है कि ये सेना में भी जा सके, और सब लोग मुझे ही कमजोर मान रहें हैं। माना कि दिल की बीमारी है लेकिन एक जवान की मां का दिल इतना भी कमजोर नहीं होता। खैर ये मेरे प्यार करने वालों का एक तरीका है और गलत भी नहीं है।"
हे मां, कोटि प्रणाम है तुझे तेरे बेटे की तरफ से।

सेना के साथी भी श्रद्धांजलि दे रहें हैं। विश्वास है कि वो भी ऐसी ही शहादत चाहते होंगे एक साधारण मौत की बजाय। नागरिक अपनी जिंदगी असाधारण चाहतें हैं और सेना के जवान अपनी मौत असाधारण चाहतें हैं। अद्भुत! गर्व है।

मेरी पत्नी निकिता कौल ढोंढियाल गुमशुम खड़ी है। मेरे मृत शरीर की तरफ देखे जा रही है। और मैं यानी कि उसके पति की रूह उसे देखे जा रही है। जाने क्या आ रहा होगा उसके मन में।
प्रेमविवाह हुआ था हमारा। पिछली अप्रैल में। वापिस अप्रैल आने वाला है। पहली सालगिरह साथ मनाने का वादा पूरा नहीं कर पाया। अफ़सोस!

मैं उसके दृढ़ व्यक्तित्व का कायल हो गया था। जैसे देखिए जिसके मां बाप को कश्मीरी पंडितो के साथ कश्मीर से अपना घर छोड़ना पड़ा था, जिसने अपना बचपन कश्मीर से दूर, कश्मीर की जन्नत वाली वादियां, वहां के किस्से और मौत वाली दुश्मनी सुनते सुनते बिताया; उसने प्यार करके शादी रचाई तो उसी जवान से जिसको कश्मीर में ही ड्यूटी करनी थी। निकिता, तू कहां कम है मुझसे वीरता में। देश मुझे तो शायद याद रखे तो रखे लेकिन तुझे याद रखे तो बेहतर होगा। तू दुर्गा का ही एक रूप है।



वो मेरे मृत शरीर को बार बार हाथों से चूम रही है। सुन पा रहीं हूं कि वो बार बार कह रही है कि वो मुझसे प्यार करती है। मैं भी तुमसे प्यार करता हूं, काश ऐसा मैं उसे अभी बोल पाता।
वो कुछ बोल रही है मुझे सबके सामने। जरा सुनता हूं।
"मुझे तुम पर गर्व है। लेकिन तुमने मुझसे झूठ बोला कि तुम मुझसे सबसे ज्यादा प्यार करते हो। वास्तव में तुम इस देश को ज्यादा प्यार करते हो। मुझे इस बात से ईर्ष्या है हालांकि मैं ये बता नहीं सकती।"
हालांकि अब मेरी बात उस तक नहीं पहुंच सकती लेकिन हां निकिता, तुमसे बेइंतेहा प्यार है मुझे, लेकिन देश से प्यार के लिए बेइंतेहा शब्द छोटा है। माफ़ करना मैंने तुमसे ये झूठ बोला लेकिन विश्वास है कि यह माफी के काबिल है।

"हम सब आपसे प्यार करते हैं विभू। जिस तरह से आपने हर एक से प्यार किया। आपने अपनी जिंदगी लोगों के लिए कुर्बान कर दी। यहां तक कि जो लोग आपसे कभी मिले भी नहीं, फिर भी तुमने उनके लिए अपनी जिंदगी कुर्बान करने की ठान ली। तुम बहुत बहादुर इंसान हो। और मैं बहुत गौरव महसूस कर रही हूं कि मैं आपकी पत्नी हूं। मैं.. मैं अपनी आखिरी सांस तक तुमसे प्यार करती रहूंगी विभू।"
ये तुम्हारा प्यार ही तो है जिसने ताकत दी है, तुमने जो सहायता दी है, जो समझदारी दिखाई है तभी मुझे देश के लिए जान देने से पहले कुछ सोचना नहीं पड़ा। मेरी कुर्बानी से ज्यादा में तुम्हारी कुर्बानी को देखकर गौरव महसूस करता हूं।

"तुमने मुझे स्थिर और एकाग्र रहने की अहमियत समझाई। मेरी ये जिंदगी तुम्हारी कर्जदार है और मुझे तुम पर बहुत गर्व है। ये तकलीफ़ देता है कि तुम जा रहे हो लेकिन मुझे पता है कि तुम हमेशा मेरे आस पास ही हो और रहोगे। हम फिर मिलेंगे ऐसी किसी दुनिया मे जहां आतंकवाद न हो और तुम्हें ऐसे जान ना गंवानी पड़े।"
और तुमने मुझे कर्तव्य से विमुख नहीं होने दिया कभी। मैं हमेशा तुम्हारे पास ही हूं। देखो ना अभी भी तुम्हारे पास हूं। तुम मुझे सुन नहीं पा रही हो। काश, ये संवाद एक तरफा ना होके दोनों तरफ से हो पाता। अगली दफा जब मिलेंगे तब जरूर ये सब मैं तुम्हें बताऊंगा।

"मैं सभी से ये अनुरोध करती हूं कि वो सहानुभूति रखने की बजाय हिम्मत रखें क्योंकि यह इंसान हम सभी। से बहुत ऊपर अपनी जगह रखता है। आइए ऐसे इंसान को सलामी देते है।
जय हिन्द। जय हिन्द। जय हिन्द।"
धन्य हूं मैं निकिता। जो तुम्हारे जैसी पत्नी मिली है। जो शहादत पर आंसू ना बहा कर जोश बढ़ा रही है। मां को भी तुम पर गर्व होगा। तुमने उनके बेटे की शहादत को अपनी वीरता से और भी सुहाना कर दिया है। दुनिया मुझे सलाम कर रही है लेकिन मेरा सलाम तुझे है।
जय हिन्द! जय हिन्द! जय हिन्द!


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इस शक्तिशाली और मार्मिक घटना को देखना चाहते हैं तो यहाँ देखें:
विस्तृत:
https://youtu.be/SWkAWjbZsfk
संक्षेप:
https://youtu.be/cUKKU8RJAaI