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Saturday, 3 February 2018

व्यंग्य: महा नगरपालिका - secret discussion

"Sir, कोई उपाय नहीं है।"

" सोच के बोल रहे हो या वोइच हर बार वाला जवाब है"

"अरे क्या sir, मैं ऐसे काम नहीं करता। सोचने का काम अपना थोड़ी है..हा हा!"

"तो किसका है..?"

"येईच तो मजेदार बात है sir जी..अपना काम है अक्खा पब्लिक को सुविधा देना..लेकिन पब्लिक को कुछ पड़ी नहीं है सुविधा लेने की..जो जैसा चल रहा है चलने दो..बहोत ही शरीफ है.. देखो कैसे लोकल में जानवरों की तरह मर पिट के जाती है कितने साल से फिर भी चु भी नही करती..अब वो शांत है तो हम क्यों फालतू में तकलीफ लें...पड़े रहेंगें जैसे है वैसे। हाँ, जब जरूरत पड़ती है तो अखबार में और सबसे मजेदार फेसबुक पे इतने suggestion मिल जाते है ना कि कई बार तो लगता है की मेरी पगार ये सब ही ले जाएंगे"

"हा हा हा हा.."

"ही ही ही ही.."

"जनता भी जोरदार चीज है"

"है ही sir जी वो तो..वो नहीं होती तो अपनी salary कहाँ से आती। बिना ज्यादा कुछ काम किये पगार मिल जाये, tension भी कुछ नहीं क्यों कि उसके लिए आप हो ही हमारे ऊपर, बस ज़िन्दगी में ओर क्या चाहिए। ये ग़ालिब, जगजीत सिंह यूँ ही परेशान रहे जिंदगी भर।"

"वैसे ग़ज़ल अच्छी गाता है जगजीत सिंह।... अरे, ग़ज़ल से याद आया ये बजट वजट कुछ पल्ले पड़ता है क्या यार तुम्हारे..हमे भी समझा दिया करो..तुम तो quota वाले भी नहीं हो तो समझ आता होगा न कुछ..।"

"अरे sir काहे शर्मिंदा करते हो..समझ आता तो हम आपकी कुर्सी पे नहीं बैठ जाते!"

"हाहाहाहा"

"हिहिहिहि"

"बहोत मज़ाक हो गया अब..वो सड़के सही करवा दो यार..वापिस न्यूज़ वालों ने पिछली साल की न्यूज़ कॉपी पेस्ट कर दी कि मानसून आने वाला है और अभी भी इतनी जगह गड्ढे भरने बाकी है.. इनको भी न ससुर काम नहीं है कुछ और..।"

"अरे sir काहे टेंशन ले रहे हो आप..हर बार छपता है कुछ उखड़ता थोड़ी है..अपने भी लास्ट बार वाला statement ढूंढ के कॉपी पेस्ट कर देते हैं ना..सड़के कौन सही करवाएगा..स्टेटमेंट कॉपी पेस्ट करके प्रेस release करदो..बस हो गया अगली साल तक का जुगाड़।"

"मुझे जवाब देना है ऊपर भी"

"हाहाहाहा..ये लाइन मस्त है.. सब काम ऊपर वाले के नाम पे या उसी के भरोसे पे ही होते हैं अपने तो। वैसे sir ऊपर वाले जवाब लेते तो गड्ढे खुद जाने वाली सड़के ही नही बनती ना..बन भी गयी तो वो गड्ढे हर साल नही खुदते..एक बार मे ही permanent काम हो जाता..।"

"अरे यार..तुम्हें इतना टाइम होगया डिपार्टमेंट में की तू मुझ जैसे नए लोगों को डरने भी नही देता..। चल तू बोल रहा है तो जाने देता हूँ..बाद में देखेंगे.. अभी तो अपना कार्यक्रम सेट करते हैं आज शाम का..कौनसी पीता है तू..।"

"जो मिल जाये sir..मेरा कोई ईमान धर्म नहीं है..।"

"हाहाहा..मेरा भी..।"



-आम आदमी, पीड़ित आदमी एवं राघव कल्याणी। 

नीचे दी हुई link भी खोल के देखलो एक बार..गड्ढे से बच के जाना link तक।

https://m.hindustantimes.com/mumbai-news/potholes-are-here-to-stay-as-mumbai-civic-body-is-yet-to-repair-1-645-roads/story-97Lwtc4sKrbsqfhuVrXcsL.html