दूर जाना इतना भी आसां नही है जितना सोचा था,
जो पता होता तो हम कमबख्त पास आने की ज़िद करते ही नहीं।
जो पता होता तो हम कमबख्त पास आने की ज़िद करते ही नहीं।
कैसे एक आवाज़ इरादों को कमजोर करने की कोशिश करती है,
जो पता होता तो वो दगाबाज़ आवाज़ हम दिल से लगाते ही नहीं।
जो पता होता तो वो दगाबाज़ आवाज़ हम दिल से लगाते ही नहीं।
ये आग का दरिया इतना लंबा है,
जो पता होता तो बिना सोचे छलांग लगते ही नहीं।
जो पता होता तो बिना सोचे छलांग लगते ही नहीं।
कैसे चाँद को देख कर खो जाते है कभी कभी,
जो पता होता तो दागी चाँद को तुमसे कमतर बताते ही नहीं।
जो पता होता तो दागी चाँद को तुमसे कमतर बताते ही नहीं।
जो हो रहा है, सोचा था उससे कितना अलग हो रहा है,
जो पता होता तो अपने भविष्य में तुम्हें रखते ही नहीं।
इतना सोचते रहे लेकिन कुछ और ही होता रहे,
जो पता होता कि जिंदगी भूलभुलैया है, इतना सोचते ही नहीं।
जो पता होता कि जिंदगी भूलभुलैया है, इतना सोचते ही नहीं।
इस रास्ते से गुजरते हैं तो तुम्हारी याद आती है,
जो पता होता तो रास्ते और यादें एक साथ बनाते ही नहीं।
जो पता होता तो रास्ते और यादें एक साथ बनाते ही नहीं।
ठंड में वो शॉल याद आ जाती है जिसने मुझे बचाया था,
जो पता होता तो शॉल को दिल से लगता ही नहीं।
जो पता होता तो शॉल को दिल से लगता ही नहीं।
ना शरीर खुश है ना मन खुश है,
जो पता होता इतनी मेहनत करते ही नहीं।
जो पता होता इतनी मेहनत करते ही नहीं।
मिलने आने के बाद और भी मुश्किल हो गया अब तो,
जो पता होता तो प्यार में भाग के आते ही नहीं।
जो पता होता तो प्यार में भाग के आते ही नहीं।
इश्क़ का पत्थर भी कभी अपने ही नीचे हमे दबा देगा,
जो पता होता तो ये पत्थर उठाते ही नहीं।
जो पता होता तो ये पत्थर उठाते ही नहीं।
पता चला कि खुद को रोकना इतना मुश्किल है,
जो पता होता तो ऐसी नौबत लाते ही नहीं।
जो पता होता तो ऐसी नौबत लाते ही नहीं।
अब जो हुआ सो हुआ, जिंदगी निभानी ही है,
जो ये सब न होता, जिंदगी, जिंदगी कहलाती ही नहीं।
जो ये सब न होता, जिंदगी, जिंदगी कहलाती ही नहीं।
-राघव कल्याणी