Thursday 10 August 2017

वक़्त तो लगता है

वो तेरा चेहरा,
जब देखा देखता ही रहा,
कई देर तक,
इतनी खूबसूरती को आंखों में समेटने के लिए
वक़्त तो लगता है।

वो ऐनक के पार तुम्हारी आंखे,
जिनसें तुम ये दुनिया देखती हो,
और मैं तुम्हारे अंदर देखने की कोशिश करता हूं,
आंखों में डूब कर वापिस आने में,
वक़्त तो लगता है।

वो तेरी प्यारी सी नाज़ुक नाक,
तुझे जिंदा रखे है,
और कितने जिन्दा है,
तुम्हे देखकर,
ये अंदाज़ा लगाने में,
वक़्त तो लगता है।

होठ तुम्हारे वो छोटे छोटे,
बिल्कुल धनुष के आकार के,
जब मिलते है एक दूजे से,
तीर निकलते जाते है,
उन तीरों से घायल होकर होश में आने में,
वक़्त तो लगता है।

तुम्हारी आवाज़,
सुनने को जिसकी खनक लोग तरसते है,
उस खनक से डगमगाये बिना,
तुम्हारी बात समझने की कोशिश करने में,
वक़्त तो लगता है।

वो घने काले बाल तुम्हारे,
कुछ एक दूसरे से उलझे हुए,
कुछ एक साथ इक्कठे होकर बंधे हुए,
कुछ एक तरफ गालों पर लटकते हुए,
सोच रहा हूँ कैसे इन बालों ने क्या जादू किया है,
काले बालों के जादू को समझने में,
वक़्त तो लगता है।

वो कोमल मुलायम मखमली नाज़ुक तुम्हारे हाथ,
किसी को छू ले तो घायल कर दे,
मेरे हाथों को उनसे मुलाकात करनी है,
हाथो को अपनी चाहत बयाँ करने में,
वक़्त तो लगता है।

वो तुम्हारी उंगलियां,
जब बालो की लट से खेलती है,
उस खेल में मैं अपना दिल हार जाता हूं,
इस खिलाड़ी की चाल समझने में,
वक़्त तो लगता है।

तुम्हारे ख्यालात,
एक बार आ जाते हैं तो बस जाते हैं
उन्हें दिमाग से निकाल कर,
कहीं और दिल लगाने में,
वक़्त तो लगता है।

मुस्कुराहटें तुम्हारी,
देख के हर कोई खुशनसीब समझे खुदको,
ऐसी मुस्कराहटों पे,
जान निसार करने में,
अब वक़्त नही लगता है।

-राघव कल्याणी

13 comments:

  1. Very beautifully described....

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  2. Beautifully written. Congratulations bhai

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  3. Lovely...
    I know for whom u have written dis...😃😄

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  4. Totally awestruck!!
    ईतनी गहरी कविता समझने मे वक्त तो लगता है।

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    1. Ah, it's not that deep..Deep is yet to come😛

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  5. किसी को टूट के चाहने में,
    और फिर उसे भूल जाने में,
    वक़्त तो लगता है...

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