अभी अभी मैनें तुम्हारी तस्वीर देखी,
लगा कि बस जन्नत देख ली हो जैसे।
रुक गया मैं कुछ पल के लिए,
ठहर कर इबादत करते हो जैसे।
झुकी झुकी सी नजर, हया आंखो में,
देख के मुझे, तूने इकरार किया है जैसे।
मुस्कराहट तुम्हारी इतनी खालिस,
देख के इसको, खोट खुद भागे जैसे।
वो लट जो तुम्हारे गाल को छू रही है,
मेरी ही कोई ख्वाहिश पूरी कर रही हो जैसे।
चेहरा तेरा इतना हंसी,
दुनिया भूल कर तुझे ही देखता रहूं जैसे।
इतनी खूबसूरत कैसे हो तुम,
चांद भी देख के शरमा जाए जैसे।
तेरी नीली पोशाक, चेहरे की रंगत,
आसमान में चांद निकल आया हो जैसे।
काला धागा बांध रखा है तुमने,
नज़रों से घायल करने वाली को भला नज़र लगती हो जैसे।
हसीन कारीगरी है, ग़ज़ल हो तुम,
और मैं वो ग़ज़ल गुनगुना रहा जैसे।