Saturday, 25 March 2017

कैसे!!

कैसे हाँ कर दूँ मैं
की अब तुझसे दूर रहना है,
क्या ये मुमकिन भी होगा,
जब बात जिंदगी भर की आएगी तो?
शायद होगा भी,
लेकिन कुछ बाते मुझे नामुमकिन ही अच्छी लगती है।

कैसे भुला दूँ वो अफ़साने
जो हमने लिखे थे
एक साथ, एक दूसरे पर,
उस दिन, उस जगह पर
उम्मीद है वो अफ़साने वापिस लिखेंगे;
और भी ज्यादा जुनून ' शिद्दत के साथ।

कैसे नज़रअंदाज कर दूँ वो पल,
जिनमे तुम याद आती हो,
वो चंद लम्हो के पल,
कभी भी कहीं भी याद आ जाते है,
और तुम्हारी याद आते ही वो पल भी,
जेहन में खास हो जाते है।

कैसे शुक्रिया अदा करूँ तुम्हारी दरियादिली का,
हर बार माफ़ किये देती हो;
और मैं गंवार सा,
फिर फिर दोहराता हूँ गलतियां;
और वापस माफ़ी के बाद सोचता हूं,
क्या कभी चूका भी पाउँगा ये अहसान ।

कैसे निभाऊं वो किये हुए वादे,
इस दुरी के बीच में रहते हुए,
दुरी जो मैंने ही पैदा की है,
मिटाना चाहता हूँ मैं इसे,
मुश्किल है सब कुछ आगे,
लेकिन कुछ वादे अब निभाने है।

15 comments:

  1. As usual great work राघव. But for me it's the best from you till date. Keep it up

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  2. Should I comment again ya fir tuje yad h 😁

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  3. Should I comment again ya fir tuje yad h 😁

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    1. Hehe..yad h acche se..deti rhna aise compliments..

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  4. Superb passion of writing. Such hobbies relax mind and body. Always spare some time for your hobbies. Keep it up and ensure that it reaches to her too.

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  5. Superb passion of writing. Such hobbies relax mind and body. Always spare some time for your hobbies. Keep it up and ensure that it reaches to her too.

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    1. Haha..that 'her' does not exist. Its imagination plus observations only.

      By the way, thanks a lot for encouragement.

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