Sunday, 17 February 2019

(मज़ाकिया) आदमी !



पसीने की बूंद की कीमत ना जाने,
ए. सी. में बैठा आदमी। 

बॉस की गाली का डर ना जाने,
पसीने वाला मजदूर आदमी।

हिल भी नहीं पावे,
लोकल में चढा आदमी।

दौड़ता दफ्तर जाए, देरी से घर को आए,
मुंबई में नौकरीपेशा आदमी।

छोटे से घर में, सारे काम बाहर करावे,
शहरों के कामगार आदमी।

दिमाग में ना आवे, वो भी सोच लेवे,
निठल्ला ज्ञानी आदमी।

फैशन में बावले हो जावे,
कॉलेज के जवान आदमी।

शरमा के कुछ बोल भी ना पावे,
नई नई शादी वाला आदमी।

बोलना चाहे, लेकिन बोल न पावे,
बीवी से डरा आदमी।

खुद की तनिक ना चला पावे,
भोला भोला पति आदमी।

ठोस फ़ैसला नहीं ले पावे,
महागठबंधन का आदमी।

ढंग का मुद्दा भी ना दूंढ़ पावे,
मोदी विपक्ष में बैठा आदमी।

ढूंढने पर भी मुश्किल से पावे,
मोदी, राहुल सरीखे आदमी।

मोदी ही आए, मोदी को लाए,
आज भारत का आम आदमी।


5 comments:

  1. हर पल खुद मै खोया रहता,
    मन की बाते मन में रखने वाला आदमी।😎

    बहुत खूब लिखा

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    1. उलझनें पैदा करता,
      खुद से ही सब सोचने वाला आदमी। 😋

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    2. खुद से सोचने पर मजबुर करता..
      अपनों को नजरअंदाज करता आदमी 😅😅

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  2. मोदी विरोध में रसातल में गिरता
    सिद्धू-दिग्गी जैसा आदमी
    😂😂😂😂😂

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