Thursday, 7 February 2019

दोस्त की शादी वाली कविता

लो, दो पल ठहर के देखो ज़रा,
तुम्हारा अच्छा वक्त आया है।

जब तुम दो पल ठहरोगी,
एक पल में बीते कल में भी झांकना।

जो हासिल किया, जो खोया,
जो मिला, जो पा न सकीं।

जो हासिल किया, जो मिला,
सदा तुम्हारे साथ रहेगा।
जो खोया, जो पा ना सकीं,
वो तुमसे दूर भी नहीं है।

वहीं कहीं तो हम भी नज़र आएंगे तुम्हें,
वहीं मिलेंगे तुमसे,
उस एक पल में,
आखिरी बार अपनी हैसियत से ऊपर।
उसके बाद हम, वहां ना रहेंगे।

वक़्त है, किस्मत है,
तुम हो, सारा जहां है।
दोनों की मर्ज़ी है,
की तुम्हें यहां खड़ा किया है।
इनके सामने किसकी चलती है,
बस यही बात है जो माननी है।

जब तुम दो पल ठहरोगी,
एक पल आने वाले कल में झांकना।

हासिल को खोना नहीं है,
जो पा न सकी वो लेना है।

वहां भी नज़र आएंगे हम तुम्हें कहीं तो,
वहीं मिलेंगे वापिस,
ऐसे हर एक पल में,
हमेशा अपनी हैसियत से ऊपर,
तुम्हारी मदद को तैयार।

वक़्त है, किस्मत है,
तुम हो, सारा जहां है।
तुम्हारी मर्ज़ी है,
तुम्हें कहां जाना है।
सपने देखो, हासिल करो,
मेहनत से वक़्त और किस्मत भी बदलते हैं।
बस यही बात है जो माननी है।

नए वक्त के उत्साह में,
दो पल ठहर के हमें भी याद करती रहना।
इस हसीं शाम के लिए, नई सुबह के लिए,
उस वक़्त और किस्मत को शुक्रिया कहना।

3 comments:

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  2. वक़्त से पहले और किस्मत से ज्यादा किसी को नहीं मिलता.. nice poem ❤️

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