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Wednesday, 6 February 2019

क्योंकि इतना कमजोर तो तुझसे इश्क़ भी नहीं!

तेरी खूबसूरती के लिए मैं एक शायरी लिख दूं,
लेकिन इतनी कलाकार तो मेरी कलम भी नहीं।

तेरी रूहानी मुस्कराहट को कागज पे उकेरूं,
लेकिन इतना काबिल तो कोई कागज भी नहीं।

तेरी खिलखिलाहट को गाने में पिरो दूं,
लेकिन इतनी मुकम्मल तो कोई धुन भी नहीं।

तेरी मासूमियत को मंच पे पेश करूं,
लेकिन इतनी पाकीज़ा तो ज़मीन भी नहीं।

तेरी अदाओं को नृत्य में ढालू,
लेकिन इतना प्यारा तो कोई ढंग भी नहीं।

तेरे हुस्न जैसी कलाकृति बना दुं,
लेकिन इतना दिलकश तो कोई सामान भी नहीं।

कैसे बयां करूं तेरी कशिश,
इतना हसीं कला का कोई रंग भी नहीं।

सोचता हूं जैसी हो, खुदा के जैसे एक ही हो,
फिर भी इतनी खालिस तो मेरी इबादत भी नहीं।

करता रहूंगा कोशिश तुझे बयां करने की, हारुंगा नहीं,
क्योंकि इतना कमजोर तो तुझसे इश्क़ भी नहीं

Wednesday, 28 February 2018

"वो अब भी कहते हैं कि.."

वो अब भी कहते हैं कि हमने उनसे महोब्बत नहीं की,
कमबख्त कोई उन्हें मेरे दिल के हाल बताते ही नहीं।

वो अब भी कहते हैं कि हमने उनसे महोब्बत नहीं की,
जाने क्यों वो हमें समझते ही नहीं।

वो अब भी कहते हैं कि हमने उनसे महोब्बत नहीं की,
वो ऐसा समझते हैं तो अब हम उनको कुछ समझाते भी नहीं।

वो अब भी कहते हैं कि हमने उनसे महोब्बत नहीं की,
सोचता हूँ कि कहीं मेरी तरफ से कुछ कमी तो नहीं।

वो अब भी कहते हैं कि हमने उनसे महोब्बत नहीं की,
मतलब यह भी है कि अब किसी एक में वो बात ही नहीं।

Tuesday, 13 February 2018

तलब: घर और प्यार

जब ये दुनिया मुझे सताती है,
तुम्हारे साथ वक़्त गुजारने की तलब बढ़ जाती है।

चाहता तो हूँ हर वक़्त तुम्हारे पास रहना,
लेकिन हर बात कहाँ सच हो पाती है।

वक़्त बेवक़्त तुम ख्यालों में आ जाती हो,
धीरे धीरे तुम्हारी जादूगरी समझ आती है।

इतने करीब से तो मैंने अपने आप को भी नहीं देखा,
जितना तुम्हारी खूबसूरती अपने पास ले जाती है।

देख लो कि कितना खुशनसीब हूँ मैं,
इतनी महोब्बत कहाँ किसी को मिल पाती है।

चेहरे का नक्शा ही बदल जाता है तुम्हारी तस्वीर देख कर,
मेरी मुस्कराहट जो दूर तक खिंची चली जाती है।

जानती हो कितनी बैचैनी रहती है मिलने की,
तुम्हारे साथ वाली याद तुम्हारे दरवाज़े तक ले आती है।

मौके की तलाश में रहता हूँ तुमसे मिलने की,
ज़िन्दगी, तेरा शुक्र गुज़ार हूँ, मिलने के इतने मौके देती है।

जाने क्या है तुम्हारी मिट्टी में,
तुम्हारी सुगंध मुझे काफी दूर से औऱ देर तक आती है।

कहा सोचा था की ऐसा रिश्ता बनेगा हमारा,
किसी रिश्ते को बिछड़न तो किसी को मिलाप ऐसा बनाती है।

कितना खुश हूँ मैं, क्या बताऊँ,
बस समझ लो कि तुमसे मिलते ही एक दूसरी दुनिया बन जाती है।

बता दो अब कब मिलना होगा,
तलब बढ़ती जाती है।