Showing posts with label poem. Show all posts
Showing posts with label poem. Show all posts

Wednesday, 6 February 2019

क्योंकि इतना कमजोर तो तुझसे इश्क़ भी नहीं!

तेरी खूबसूरती के लिए मैं एक शायरी लिख दूं,
लेकिन इतनी कलाकार तो मेरी कलम भी नहीं।

तेरी रूहानी मुस्कराहट को कागज पे उकेरूं,
लेकिन इतना काबिल तो कोई कागज भी नहीं।

तेरी खिलखिलाहट को गाने में पिरो दूं,
लेकिन इतनी मुकम्मल तो कोई धुन भी नहीं।

तेरी मासूमियत को मंच पे पेश करूं,
लेकिन इतनी पाकीज़ा तो ज़मीन भी नहीं।

तेरी अदाओं को नृत्य में ढालू,
लेकिन इतना प्यारा तो कोई ढंग भी नहीं।

तेरे हुस्न जैसी कलाकृति बना दुं,
लेकिन इतना दिलकश तो कोई सामान भी नहीं।

कैसे बयां करूं तेरी कशिश,
इतना हसीं कला का कोई रंग भी नहीं।

सोचता हूं जैसी हो, खुदा के जैसे एक ही हो,
फिर भी इतनी खालिस तो मेरी इबादत भी नहीं।

करता रहूंगा कोशिश तुझे बयां करने की, हारुंगा नहीं,
क्योंकि इतना कमजोर तो तुझसे इश्क़ भी नहीं