Sunday, 17 February 2019

(मज़ाकिया) आदमी !



पसीने की बूंद की कीमत ना जाने,
ए. सी. में बैठा आदमी। 

बॉस की गाली का डर ना जाने,
पसीने वाला मजदूर आदमी।

हिल भी नहीं पावे,
लोकल में चढा आदमी।

दौड़ता दफ्तर जाए, देरी से घर को आए,
मुंबई में नौकरीपेशा आदमी।

छोटे से घर में, सारे काम बाहर करावे,
शहरों के कामगार आदमी।

दिमाग में ना आवे, वो भी सोच लेवे,
निठल्ला ज्ञानी आदमी।

फैशन में बावले हो जावे,
कॉलेज के जवान आदमी।

शरमा के कुछ बोल भी ना पावे,
नई नई शादी वाला आदमी।

बोलना चाहे, लेकिन बोल न पावे,
बीवी से डरा आदमी।

खुद की तनिक ना चला पावे,
भोला भोला पति आदमी।

ठोस फ़ैसला नहीं ले पावे,
महागठबंधन का आदमी।

ढंग का मुद्दा भी ना दूंढ़ पावे,
मोदी विपक्ष में बैठा आदमी।

ढूंढने पर भी मुश्किल से पावे,
मोदी, राहुल सरीखे आदमी।

मोदी ही आए, मोदी को लाए,
आज भारत का आम आदमी।


आदमी!


जगत में न्यायमूर्ति कहलावे,
सब पक्ष सुनने वाला आदमी।
दूसरा पक्ष सोच भी नहीं पावे,
पूर्वाग्रह से ग्रस्त आदमी।

जिंदगी में सबसे जीत जावे,
विश्वास रखने वाला आदमी।
हकीकत पर बहुत पछतावे,
गलत-फहमियों का शिकार आदमी।

हद अनहद क्या पहचाने,
किसी के इश्क़ में डूबा आदमी।
हर क़दम फूंक के रखे,
जिंदगी में धोखा खाया आदमी।

बहुत तकलीफ़ पावे,
सत्य पर चलने वाला आदमी।
सुकुनी नींद ना ले पावे,
झूठ बोलने वाला आदमी।

मुश्किलों को पार कर जावे,
मेहनत करने वाला आदमी।
कुछ क़दम चल के रुक जावे,
भाग्य भरोसे आदमी।

क्षणभंगुर कब्जे के लिए,
आदमी से लड़ता आदमी।
किस पर भरोसा करे, किसे नजरअंदाज,
आदमी से त्रस्त आदमी।

Thursday, 7 February 2019

दोस्त की शादी वाली कविता

लो, दो पल ठहर के देखो ज़रा,
तुम्हारा अच्छा वक्त आया है।

जब तुम दो पल ठहरोगी,
एक पल में बीते कल में भी झांकना।

जो हासिल किया, जो खोया,
जो मिला, जो पा न सकीं।

जो हासिल किया, जो मिला,
सदा तुम्हारे साथ रहेगा।
जो खोया, जो पा ना सकीं,
वो तुमसे दूर भी नहीं है।

वहीं कहीं तो हम भी नज़र आएंगे तुम्हें,
वहीं मिलेंगे तुमसे,
उस एक पल में,
आखिरी बार अपनी हैसियत से ऊपर।
उसके बाद हम, वहां ना रहेंगे।

वक़्त है, किस्मत है,
तुम हो, सारा जहां है।
दोनों की मर्ज़ी है,
की तुम्हें यहां खड़ा किया है।
इनके सामने किसकी चलती है,
बस यही बात है जो माननी है।

जब तुम दो पल ठहरोगी,
एक पल आने वाले कल में झांकना।

हासिल को खोना नहीं है,
जो पा न सकी वो लेना है।

वहां भी नज़र आएंगे हम तुम्हें कहीं तो,
वहीं मिलेंगे वापिस,
ऐसे हर एक पल में,
हमेशा अपनी हैसियत से ऊपर,
तुम्हारी मदद को तैयार।

वक़्त है, किस्मत है,
तुम हो, सारा जहां है।
तुम्हारी मर्ज़ी है,
तुम्हें कहां जाना है।
सपने देखो, हासिल करो,
मेहनत से वक़्त और किस्मत भी बदलते हैं।
बस यही बात है जो माननी है।

नए वक्त के उत्साह में,
दो पल ठहर के हमें भी याद करती रहना।
इस हसीं शाम के लिए, नई सुबह के लिए,
उस वक़्त और किस्मत को शुक्रिया कहना।

Wednesday, 6 February 2019

क्योंकि इतना कमजोर तो तुझसे इश्क़ भी नहीं!

तेरी खूबसूरती के लिए मैं एक शायरी लिख दूं,
लेकिन इतनी कलाकार तो मेरी कलम भी नहीं।

तेरी रूहानी मुस्कराहट को कागज पे उकेरूं,
लेकिन इतना काबिल तो कोई कागज भी नहीं।

तेरी खिलखिलाहट को गाने में पिरो दूं,
लेकिन इतनी मुकम्मल तो कोई धुन भी नहीं।

तेरी मासूमियत को मंच पे पेश करूं,
लेकिन इतनी पाकीज़ा तो ज़मीन भी नहीं।

तेरी अदाओं को नृत्य में ढालू,
लेकिन इतना प्यारा तो कोई ढंग भी नहीं।

तेरे हुस्न जैसी कलाकृति बना दुं,
लेकिन इतना दिलकश तो कोई सामान भी नहीं।

कैसे बयां करूं तेरी कशिश,
इतना हसीं कला का कोई रंग भी नहीं।

सोचता हूं जैसी हो, खुदा के जैसे एक ही हो,
फिर भी इतनी खालिस तो मेरी इबादत भी नहीं।

करता रहूंगा कोशिश तुझे बयां करने की, हारुंगा नहीं,
क्योंकि इतना कमजोर तो तुझसे इश्क़ भी नहीं